गंड मूल नक्षत्रों के बारे में जानकारी

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गंड मूल नक्षत्रों के बारे में जानकारी

जातो न जीवति मातुरपथ्यो भवेत्स्वकुलहन्ता।

यदि जीवति गंडांते बहुगज तुरगो भवेद्भूतः।।

 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उपर्युक्त श्लोक के द्वारा हम यह सिद्ध कर पाते हैं ,कि अश्विनी आदि 27 नक्षत्रों में 6 नक्षत्र गंड मूल होते हैं,

जिनके नाम इस प्रकार से हैं।

1 अश्विनी

2 आश्लेषा

3 मघा

4 जेष्ठा

5 मूल

6 रेवती


इन सभी नक्षत्रों में उत्पन्न जातक-जातिका गंड-मूलक कहलाते हैं यह जातक अपने लिए तथा कुटुंब जनों के लिए और अशुभ माने गए हैं ,किंतु अपनी युवावस्था में यह जीवन के सभी ऐश्वर्यों का भोग करते हैं।

इनमें सबसे ज्यादा अशुभ अभुक्त मूल होता है शास्त्र कारों ने नक्षत्र विशेष की घड़ियों को अधिक दोषकारी माना है ,यही विशेष घड़ियां अभुक्त मूल कही जाती है, विभिन्न शास्त्र कारों में कुछ मतांतर हैं जो कि इस प्रकार से हैं।

नारद मतः       जेष्ठा नक्षत्र के अंत की चार घटी एवं मूल नक्षत्र के प्रारंभ की चार घटी अर्थात कुल मिलाकर 8 घटिया अभुक्त मूल संज्ञक मानी है ।

वशिष्ठ मत :     जेष्ठा नक्षत्र के अंत की एक घटी एवं मूल नक्षत्र के प्रारंभ की दो घटी अर्थात कुल मिलाकर तीन घटियां अभुक्त मूल मानी है।

बृहस्पति मत :    जेष्ठा नक्षत्र के अंत की आधी घड़ी एवं मूल नक्षत्र के प्रारंभ की आधी घड़ी कुल मिलाकर एक घटी अभुक्त मूल मानी है।

इस अभुक्त-मूल संज्ञक काल में उत्पन्न जातक माता-पिता धन-संपत्ति घर परिवार आदि के लिए अशुभ फलकारक माना गया है ,किंतु विधिपूर्वक मूल शांति करवा लेने से शुभ हो जाता है।

वैसे इन गंडमूल नक्षत्रों मैं अलग-अलग चरण का भी अलग-अलग फल बताया गया है जो कि अगले लेख में बताया जाएगा।


Tags : Astrology

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