अपनी शादी के लिए कुंडली स्वयं कैसे मिलाएं ?

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अपनी शादी के लिए कुंडली स्वयं कैसे मिलाएं ?
जी हाँ, आप कुंडली सॉफ्टवेयर या किसी अन्य ऑनलाइन टूल की मदद से कुंडली मिलान कर सकते हैं। परिणाम कुछ इस प्रकार आएगा गुण मिलान संख्या 5-32 से के मध्य और मांगलिक का निर्णय। अगर गुण 18 से ऊपर हो और मंगल दोष बाधक न हो तो बस हो गई कुंडली मिलान !

क्या सच में ये इतना आसान है। आईये जानते हैं इस लेख के माध्यम से। सबसे पहले गुण मिलान पर प्रकाश डालते हैं, इसका पूरा नाम अष्ट कूट मिलान है।

अष्ट कूट विचार

१) वर्ण : वर्ण पति पत्नी के मध्य अहं भाव का परिचायक है ।

२) वश्य : वश्य आकर्षण एवं लगाव का सूचक है ।

३) तारा / दिन : तारा / दिन स्वास्थ्य का सूचक है ।

४) योनि : योनि संतुष्टि को दर्शाता है ।

५) गृह मैत्री : गृह मैत्री बौद्धिक एवं आध्यात्मिक स्तर का सूचक है ।

६) गण : गण आपसी मिज़ाज का सूचक है ।

७) भुकुट : भुकुट परिवार बच्चे एवं पारिवारिक मेलजोल का सूचक है ।

८) नाड़ी : नाड़ी भौतिक स्वास्थ्य का सूचक है ।

 

निश्चय ही अष्ट कूट मिलान बहुत जरूरी है । इन सभीअष्ट कूट के अंक होते हैं, सभी अंको को जोड़ कर गुण मिलान की संख्या आती है।

मांगलिक विचार : लग्ने व्यये च पाताले यामित्रे चाष्टमे कुजे । भार्या भर्तुविनाशाय भर्ता भार्या विनाशाय।
अर्थ : अगर मंगल गृह कुंडली के पहले, बारहवे, चौथे, सातवे एवं आठवे भाव में हो तो जातक मांगलिक कहा जायेगा और अपने जोड़े पर भारी रहेगा।

कुंडली software हमें सिर्फ़ लग्न कुंडली से व्यक्ति माँगलिक है या नहीं यह बताता है, जबकि असल में चंद्र कुंडली व शुक्र कुंडली से भी माँगलिक विचार अनिवार्य है । कुछ लोग लग्न कुंडली से ना माँगलिक हो कर चंद्र या शुक्र कुंडली से माँगलिक हो सकते हैं, ऐसे लोगों को भी माँगलिक माना जाता है ।

मेरे मत अनुसार कुंडली मिलान में अष्ट कूट मिलान हो चाहे ना हो पर माँगलिक का सही प्रकार मिलान होना चाहिए ।

इस सिद्धांत के अनुसार आप यह देख सकते हैं की मंगल लड़के और लड़की की कुंडली मैं कौन से घर में है।  

तो ऊपर की दो बातें गुण मिलान व मांगलिक विचार हमने समझ लिए, अब इसके आगे की बात करते हैं।इसके आगे कुंडली मिलान करने के लिए आपको कुछ ज्योतिष के सिद्धांतो का ज्ञान होना आवश्यक है। यह कोई जटिल सिद्धांत नहीं है बस आपको राशियों का ज्ञान, लग्न का ज्ञान, कुंडली के १२ घर का ज्ञान होना चाहिए। नीचे लिखे नियम से मिलान करने पर स्पस्ट पता चलता है की यह लड़की या लड़का आपके लिए भाग्यशाली रहेगा या नहीं।  

SUPER IMPOSING OF CHARTS: इस तरीके में लड़के की कुंडली में लड़की के गृह लिख कर देखना है। मान लीजिए लड़के की कुंडली में लग्न पर तुला राशि है, और लड़की के लग्न राशि मेष है। अगर लड़की का गुरु तुला राशि का है, तो यह तुला का गुरु लड़के की कुंडली में लग्न में आ जायेगा, जिसका फल उत्तम माना जायेगा। इसका फल यह आएगा की शादी के बाद लड़के का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, और भाग्य में वृद्धि होगी।
इसी प्रकार अन्य गृहो को लड़के की कुंडली में रख कर देखे, अगर अधिक गृह शुभ स्थानों पर आएं तो यह संयोग उत्तम माना जायेगा। इसी प्रकार यह निश्चित करने के लिए की यह शादी लड़की के लिए कैसी रहेगी, लड़की के लग्न को स्तिथ करके, लड़के के गृहो को लड़की के लग्न में रखेंगे। मान लीजिए अगर लड़के का बुध मेष राशि का है तो वो लड़की की कुंडली में लग्न पर आ जायेगा, इसका फल यह होगा की लड़की की कलात्मक और बौद्धिक क्षमता में निखार आएगा और लड़के और लड़की में आपसी संवाद अच्छा रहेगा।

  LAGNA LORDS OF THE COUPLE : गृह हमें दो तरह से प्रभावित करते हैं, पहले तो जन्म कुंडली में गृह भिन्न भिन्न भावो में विराजमान हो कर हमें प्रभावित करते हैं, दूसरे गृह गोचर के द्वारा हमें प्रभावित करते है। शनि की साढ़े साती दूसरे प्रकार के प्रभाव के अंतर्गत आती है। कुंडली मिलान में यह ध्यान देने की जरूरत है की लड़के और लड़की की जन्म लग्न की राशि व चंद्र राशि एक नहीं होनी चाहिए, क्योंकी जो गोचर के गृह हैं वो दोनों को एक सामान प्रभावित करेंगे इस प्रकार अगर बुरा वक्त आया तो दोनों पर एक साथ आएगा, और वह शादी के लिए ठीक नहीं है। इसके अलावा अगर लड़के और लड़की के लग्न स्वामी आपस में मित्र हों तो शादी अच्छी मानी जाती है।  

इस प्रकार से मिलान कि हुई कुंडली एक सफल शादी को दर्शाती है। सिर्फ गुण और मांगलिक मिलान करना कुंडली मिलान का एक छोटा सा हिस्सा है, किन्तु रीति ही कुछ ऐसी बन गई है की इसके अलावा कुछ और होता ही नहीं है।

आज के युग में कुंडली मिलान सिर्फ़ एक बाधा के रूप में देखी जाती है, जबकि इसका उदेश यह जानना है की भावी दम्पति सुख समृद्धि के साथ रह पाएँगे अथवा नहीं । इसका एक कारण यह भी है की आज के युग में रिश्ते तय होना एक कठिन कार्य हो गया है, और ऐसे में जब किसी का रिश्ता होने में पहेले ही इतनी कठिनाई हो रही हों तो वह व्यक्ति तो कुंडली मिलान को एक बाधा ही समझेगा । किंतु इससे अच्छा है की व्यक्ति कुंडली मिलान ही ना करे, और अगर करे तो जो कुंडली मिलान का निर्णय आए उसका मान रखे और सही निर्णय ले ।


Tags : Astrology

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Madhuri Satish Chandra said 6 years ago: Opinion of one astrologer differs from another, how is that possible. It confuses us so as to whom to believe...
Author said 6 years ago: There are some broad things which are based on clear rules of Astrology. These give the same picture to each Astrologer, the difference arises due to the fine things which comes with experience. Than apart from the experience of the Astrologer, his involvement in seeing a particular chart also matters. Sometimes proper analysis of a chart can take more than two hours of intense working!