देश में GST लगे एक महीना बीत गया है | GST से जुडी बहुत सी बातें अब सभी को समझ आने लगी हैं, व्यापारी वर्ग अभी इस नए नियम से उत्साहित नज़र आ रहे हैं | GST में बहुत से कर समायोजित किये गए हैं, किन्तु एक कर जिसका नाम मंडी शुल्क है, उसका समायोजन GST में नहीं किया गया है |
मंडी समिति का गठन इन बातो को ले कर हुआ था:
1) किसान का व्यापारी द्वारा शोषण होने से रोकना और किसान को उसके माल का सही मुल्य दिलाना |
2) मंडी शुल्क द्वारा नवीन मंडियों का निर्माण करना एवं उनका रख रखाव करना |
मंडी समिति का गठन विभिन्न राज्यों में साल 1960 से 1970 के बीच हुआ था | उस समय से अब तक मंडी स्थलों की संख्या बढ़ती गयी है | मंडी स्थल एक स्थान है जहाँ किसान अपनी फसल बेचने के लिए लाता है, मंडी समिति में आढ़तिया व अन्य व्यापारी होते हैं, इन सभी व्यापारियों को मंडी समिति से लाइसेंस लेना होता है, और मंडी के नियमो का पालन करना होता है | मंडी समिति में बिकने वाले सामान पर मंडी शुल्क लगता है, यह शुल्क खरीदार पर लगता है | आम तौर पर अनाज, दाल, तिलहन, मसाले, गुड़ , फल, सब्ज़ी आदि पर मंडी शुल्क लगता है |
मंडी समिति दो तरह के लइसेंस देती है, एक होलसेल लाइसेंस जिसे आढ़तिया लेता है , और एक रिटेल लाइसेंस जिसे छोटा व्यापारी अथवा रिटेलर लेता है | आम तौर पर मंडी स्थल में व्यापारी होलसेल लाइसेंस लेते हैं, और बाजार में रिटेल व्यवसाई रिटेल लाइसेंस लेते है | किसान अपनी फसल मंडी स्थल में होलसेल व्यापारी के पास लाता है, व्यापारी उसकी फसल को रिटेल व्यवसाई को बेचता है, यह auction या बोली प्रक्रिया से भी होता है | रिटेल व्यवसाई फसल के दाम के ऊपर मंडी शुल्क, विकास सेस, कमीशन, मजदूरी, बारदाना आदि शुल्क अदा करके अपना माल रिटेल में बेचता है | होलसेल व रिटेल लाइसेंस के नियम व कानून इस प्रकार हैं :
नियम का प्रकार | होलसेल व्यापारी | रिटेल व्यापारी |
कागजी लेखा जोखा | यह व्यापारी किसान के माल की आमदन का रिकॉर्ड रखेगा, बिक्री का और उस पर मंडी शुल्क का भी सटीक विवरण देगा, एक स्टॉक रजिस्टर भी बनाएगा | बिक्री करते वक्त वसूला गया मंडी शुल्क सही समय पर मंडी समिति में जमा कराएगा और उसका हिसाब रखेगा | एक वार्षिक कारोबार का लेखा जोखा मंडी में दाख़िल करेगा | | यह व्यापारी अपनी मंडी के होलसेल व्यापारी से मंडी का बिल लेगा और उसका रिकॉर्ड रखेगा, रिटेल व्यवसाई पर अधिक कागजी लेखा जोखा रखने का भार नहीं है | |
माल की खरीद | यह व्यापारी किसान से माल खरीद सकता है, अपने राज्य के बाहर की मंडी समिति से भी माल खरीद सकता है, अथवा अपने राज्य की ही किसी और मंडी समिति से भी माल खरीद सकता है | | यह व्यापारी केवल अपने मंडी क्षेत्र की मंडी से ही माल खरीद कर सकता है, राज्य से बहार की मंडी अथवा अपने राज्य की ही किसी अन्य मंडी से माल खरीदने की अनुमति नहीं है | |
माल की बिक्री | यह व्यापारी अपने मंडी क्षेत्र के किसी अन्य होलसेल व्यापारी अथवा रिटेल व्यवसाई को माल बेच सकता है | अपने राज्य की अन्य मंडी अथवा दूसरे राज्य की मंडी क्षेत्र के होलसेल व्यापारी को माल बेच सकता है | | यह व्यापारी केवल अपने मंडी क्षेत्र में अपना माल बेच सकता है | |
मंडी समिति की कमजोरियाँ
1. उपरोक्त लिखित नियम GST के ONE NATION ONE TAX के नियम के अनुकूल नहीं है |
2. 1960 से ले कर अब तक मंडी समिति के काम करने के तरीके में कोई खास बदलाव नहीं हुए है, इसलिए आधुनिक युग में आम बाते जैसे Farm To Store, computerised billing आदि के लिए मंडी नियमो में कोई प्रावधान नहीं है |
3. विभिन्न मंडियों में मंडी शुल्क 2% से 4% तक है, जो की महंगाई बढ़ता है, अगर माल किसी अन्य राज्य से आता है तो दो बार माल के ऊपर मंडी शुल्क लगता है, जिससे माल और महंगा हो जाता है |
फिर भी मंडी समिति के योगदान को नाकारा नहीं जा सकता, बस इससे आज के युग के साथ चलने की आवश्यकता है |
नोट: मंडी के नियमो के बारे में सही जानकारी अपनी मंडी से ले ले, इस लेख को नियम सहिंता के रूप में न ले |